वह थी ही इतनी खूबसूरà¥à¤¤ कि जो कोई à¤à¥€ उसे देखता उसकी नजर उसे देखती ही रह जाती। मरà¥à¤¦ तो उसकी खूबसà¥à¤°à¥à¤¤à¥€ के दीवाने थे। उसकी खूबसà¥à¤°à¥à¤¤à¥€ में चार चांद लगाता था à¤à¤• हजारों साल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ हार। जब जब वह उसे पहनती वह महसूस करती थी कि जैसे वह किसी राजà¥à¤¯ की महारानी हो। उस की चाल, बोलने का ढंग महारानियों जैसा हो जाता। जो à¤à¥€ मरà¥à¤¦ उसको हासिल कर के उस के रूप को पीना चाहता और उस के जिसà¥à¤® को हासिल करना चाहता, वह उस का खून पी जाती और उस मरà¥à¤¦ को मौत की नींद सà¥à¤²à¤¾ देती। उसे मरà¥à¤¦à¤œà¤¾à¤¤ से नफरत थी। हैरतअंगेज कारनामों और à¤à¤•à¤¶à¤¨ से à¤à¤°à¤ªà¥‚र आप 'पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ रूह का इंतकाम' में पà¥à¥‡à¤‚गे।
Pyasi Rooh Ka Intqam
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MRP:
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Minimum Purchase: ₹1,340
Format: | Paperback |
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ISBN No. | 9789386447579 |
Publication date: | 11 Apr 2018 |
Publisher: | Rigi Publication |
Publication City/Country: | India |
Language: | HINDI |
Book Pages: | 138 |
Book Size: | 5" x 8" |
Book Interior: |