""जिस बादल की थी तमन्ना हमें वो कहीं और ही बरसता रहा, किसी और पर उसकी घटाएं बरसी और मैं बूंद बूंद को तरसता रहा "" इस कहानी की ये पंक्ति, शायद इस देश के आधे से ज्यादा युवाओं के दिल का हाल है, आईआईटी रुड़की से शुरू हुई रुद्र और उसके खास दोस्त ठाकुर और रचित की इस कहानी में रुद्र अपनी मानसिक बीमारी का इलाज ढूंढते हुए नौकरी की तलाश में कभी दिल्ली कभी जयपुर के कोचिंग के माहौल में खुद को तलाशता है, जिसमे उसके साथ हम साए की तरह अपेक्षा उसका साथ निभाती है, अपेक्षा, रुद्र के बचपन का प्यार जो सालों कहीं खो जाने के बाद रुद्र को मिला था, मगर आईआईटी से भी बेरोजगार निकलने का बोझ और सामाजिक परिस्थिति रुद्र को उस मोड़ पर ले आती हैं जहां प्रेम और परिवार एक दूसरे के सामने खडे हो जाते हैं, हर मध्यमवर्गीय परिवार के लड़के की तरह रुद्र अपने प्यार के लिए परिवार के ही सामने खड़ा महसूस करता है, ये कहानी आईआईटी की मौज मस्ती, दिल्ली के कोचिंग के माहौल की गंभीरता, जयपुर के गुलाबी इश्क में डूबे प्रेम और दोस्ती का मिश्रण है ।
About the author
उमाशंकर मूल रूप से मथुरा उत्तर प्रदेश से हैं, इन्होंने आईआईटी रुड़की से मैकेनिकल इंजीनियरिंग से बी टेक किया है, फिलहाल कोल इंडिया में कार्यरत हैं । लिखने और जीने के अंदाज से दोस्तो ने एक नाम दिया है वैरागी, जिस नाम से ये लिखते हैं ।