कुछ कही कुछ अनकही नरेश गुलाटी द्वारा पिछले कुछ वर्षों में लिखी गई पुस्तक समीक्षाओं का एक अद्यतन संकलन है। यह पुस्तक हिंदी साहित्य में समालोचना की समृद्ध परंपरा से अपने प्रकार से जुड़ते हुए विशेषतः भौगोलिक क्षेत्र जम्मू-कश्मीर के साहित्यकारों की बहुत सी कविता-कहानी और नाट्य कृतिओं को जानने-समझने का अवसर प्रदान करती है। इसी क्रम में यह पुस्तक कुछ प्रवासी तथा जम्मू कश्मीर से बाहर के अन्य लेखकों के उपन्यास-कथा संग्रह और अनेक पत्रिकाओं तथा साहित्य वार्षिकिओं की समीक्षाएँ-सूचनाएँ भी अपने में समाहित किये हुए है। जिन लेखकों की कृतियों पर इस पुस्तक में चर्चा हुई है उनमें महाराज कृष्ण संतोषी, डॉ चंचल डोगरा, श्याम जुनेजा, अनिल सहगल, रत्तन सहगल, राजेश्वर सिंह राजू, नीना अंडोत्रा पठानिया, राहुल राजेश, ऋषि राज, तारकेश्वरी सुधि, रवींद्र मर्दिया, ऑस्ट्रेलियाई प्रवासी लेखिका रीता कौशल और उनके माध्यम से कई अन्य प्रवासी समकालीन लेखक आदि शामिल हैं। जिन पत्रिकाओं पर चर्चा सम्मिलित है उनमें नया ज्ञानदोय व इंडिया टुडे की वार्षिकी, सरस्वती, व्यंग्य यात्रा, साहित्य परिक्रमा आदि उल्लेखनीय हैं। समकालीन सृजन पर एक अलग तरह की पुस्तक. एक क्षेत्र विशेष और एक वर्ग विशेष की हिन्दी रचना धर्मिता पर एक सीमित परंतु सटीक दृष्टि।
Kuch Kahi Kuch Ankahi
Literature
साहित्यिक आलोचनाओं और विचारों का संग्रह
MRP:
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Minimum Purchase: ₹1,600
Format: | Paperback |
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ISBN No. | 9789363881068 |
Publication date: | 16 Jul 2024 |
Publisher: | Rigi Publication |
Publication City/Country: | India |
Language: | Hindi |
Book Pages: | 116 |
Book Size: | 5.5" x 8.5" |
Book Interior: | Black & white interior with white paper |
नरेश गुलाटी हिंदी साहित्य के एक सजग पठनकर्ता और आलोचक हैं, जो अपनी गहन विश्लेषणात्मक और परिचयात्मक समीक्षाओं के लिए जाने जाते हैं। उनकी साहित्यिक योगदान महत्वपूर्ण हैं और उनकी समीक्षाओं को उनकी गहराई और स्पष्टता के लिए सराहा जाता है। गुलाटी का काम हिंदी साहित्य को प्रोत्साहित करने और व्यापक पाठकों को साहित्य की गहराइयों और सुंदरता से जोड़ने के उनके समर्पण का प्रमाण है। उनकी लेखनी अक्सर साहित्य को सुलभ और रोचक बनाने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।