"कलियों को मुस्कुराने दो" एक ऐसा कहानी संग्रह है, जो समाज की विद्रूपताओं, मानवीय इच्छाओं और नैतिक पतन को बेबाकी से उजागर करता है। इसमें कुल 11 कहानियाँ हैं, जो न केवल पाठकों को झकझोरती हैं, बल्कि समाज के बदलते स्वरूप पर गहरा व्यंग्य भी प्रस्तुत करती हैं।
प्रभु दयाल मंदैया 'विकल' की यह कृति मानवीय मूल्यों के ह्रास, सामाजिक बंधनों और इच्छाओं के टकराव को सूक्ष्मता से उकेरती है। यह पुस्तक हर उस व्यक्ति के लिए अनिवार्य है, जो समाज की सच्चाई को गहराई से समझना चाहता है और एक नई सोच विकसित करना चाहता है।