मैने इस किताब में भावनात्मक शैली को आत्मकथनातक शैली में लिखा है जिसमें पूण॔ रूप मे सत्यता विधमान है कयोंकि विश्र्व भर में जब भी मैने किसी भी स्त्री या पुरुष को अपने अन्दर महसूस किया व उनकी अंदरूनी भावना व व्यथा को समझा कि कैसे वह जिंदा रहते हुऐ मौत महसूस कर रहे है तो मेरे से उनकी वेदना के बारे में कुछ न कुछ लिखा गया व खुद भी अनुभव किया कि जिस परमात्मा की खोज में हम इस दुनिया में आते है उसे हम अपने अन्दर महसूस तो आवश्यक ही करते हैं पर उसे बिना पाएँ ही पीङा में ही वापिस चले जाते है और चाहें उस वेदना, दर्द, वियोग, पीङा, दुख को इश्क हकीकी कह लो चाहे इश्क मिजाजी ?
Rahasymayi Pyar (inscrutable Love)
Religion & Spirituality
मैने इस किताब में भावनात्मक शैली को आत्मकथनातक शैली में लिखा है जिसमें पूण॔ रूप मे सत्यता विधमान है कयोंकि विश्र्व भर में जब भी मैने किसी भी स्त्री या पुरुष को अपने अन्दर महसूस किया व उनकी अंदरूनी भावना व व्यथा को समझा कि कैसे वह जिंदा रहते हुऐ मौत महसूस कर रहे है तो मेरे से उनकी वेदना के बारे में कुछ न कुछ लिखा गया व खुद भी अनुभव किया कि जिस परमात्मा की खोज में हम इस दुनिया में आते है उसे हम अपने अन्दर महसूस तो आवश्यक ही करते हैं पर उसे बिना पाएँ ही पीङा में ही वापिस चले जाते है और चाहें उस वेदना, दर्द, वियोग, पीङा, दुख को इश्क हकीकी कह लो चाहे इश्क मिजाजी ?
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Minimum Purchase: ₹1,340
Format: | Paperback , Ebook |
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ISBN No. | 9789386447982 |
Publication date: | 09 Feb 2019 |
Publisher: | Rigi Publication |
Publication City/Country: | India |
Language: | Hindi |
Book Pages: | 94 |
Book Size: | 5.5" x 8.5" |
Book Interior: | Black & white interior with white paper |
हाईकोर्ट चणङीगद व सैशन कोट॔ फतेहाबाद के बार मैम्बर अमनदीप सिंह पेशे से एक पुशतैनी जमींदार किसान व एन. आर. आई. परिवार से समबन्धित है । इसलिए 1980 के दशक का गरीब भारतीय ग्रामीण जीवन व उच्च कोटि का भव्य फ़ाइव स्टार विदेशी जीवन उसके लिए कोई ज्यादा मायने नहीं रखता और पर्याप्त ऐश्वर्यशाली व संघर्ष युक्त दोनो ही तरह की जीवन शैली व्यतीत करने वाले इस लेखक के लिए अगर कुछ मायने रखता है तो वह है मानवता व प्रेम।
अब तक पांच किताबें लिख कर अपनी एक विशेष पर सीधी सादी, ज्ञानवर्धक, अकखङ व तकनीकी शैली के कारण लेखन कला में अपनी एक छोटी सी कोशिश में ज्यादा तो नहीं पर अपनी थोड़ी बहुत पहचान बनाने में जरूर कामयाब हुऐ है । इस किताब पढने के बाद इन्हें Intelligent emotional fool तो कहा जा सकता है पर fool तो कतई ही नहीं ?