6 दिसम्बर 1992 को जब बाबरी मस्जिद गिरायी गयी तब देश में एक तूफान सा आ गया | ना जाने कितनी माताओं की गोद सुनी हो गयी | न जाने कितनी सित्रयों का सुहाग लुट गया | धर्म के नाम पर हिन्दू और मुसलमानों को खूब लड़ाया गया | हमेशा के एक खाई खोद दी गई | आज भी उस खाई को बनाये रखने के लिए 6 दिसम्बर को शौर्य दिवस व कलंक दिवस के रूप में मनाया जाता है | यह अभी अपने को ही नहीं जानते | हम कौन है ? हमारा संबंध कहाँ से हैं ? वह संबंधी कौन हैं ? क्या वह अनेक रूपों में हैं ? क्या वह एक नहीं हैं ? यही है मर्म, वह एक होते हुए अनेक रूपों में दिखाई देता हैं और वही अनेक रूपों में दिखाई देते हुए एक ही हैं | उसी के होने पर हमारा अस्तित्व है और उनके न होने की कल्पना नहीं की जा सकती है | शिवो हम शिव ही हम हैं और हम ही शिव हैं | जो ये विचार लिखें जा रहे हैं, यह कहीं से आ रहे हैं | आगे भी जो लिखे जायेंगे, वह भी वहीँ से आयेंगे | इस चर्चा का आदि अंत परमात्मा ही हैं | यह शरीर सिर्फ माध्यम ही हैं | यह परमात्मा की कृपा से ही संभव हो पा रहा है | " मो सम कौन कुटिल खल कामी"
लेखक परिचय
केशव कुमार त्रिवेदी 'कश्मीरा' जन्मतिथि - 15 जुलाई 1960, पटकापुर, कानपुर | माता - स्व.श्रीमती माया देवी पिता - स्व. रमेशचंद्र त्रिवेदी धर्मपत्नी - श्रीमती सुधा त्रिवेदी शिक्षा - प्रभाकर तबला कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय स्तर के तबलावादक सम्मान - आकाशवाणी लखनऊ से सम्बुद्ध सन 1975 से विभिन्न राष्ट्रीय सामाजिक संस्थाओं द्वारा तबलावादन के क्षेत्र में शताधिक सम्मान प्राप्त |
अभिरुचि - म. नं. 295/ 13 फेस - 1, नरपत नगर, जरौली, कानपुर मोबाइल - 09307373276