16 दिसंबर 2012 और मीडिया हमारे देश के इतिहास के सबसे दर्दनाक और काले दिनों में से एक पर आधारित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। यह किताब 16 दिसंबर 2012 को घटित हुए दिल्ली गैंगरेप की घटना के दौरान मीडिया के रवैये और भूमिका पर गहन विश्लेषण करती है। यह पुस्तक इस महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर खोजने का प्रयास करती है कि उस समय मीडिया ने जो कदम उठाए, वह सही थे या गलत। किताब मीडिया की नैतिकता, सामाजिक जिम्मेदारियों, और पत्रकारिता के उस पक्ष पर ध्यान केंद्रित करती है, जिसने इस घटना को कवर किया। लेखक इस घटना से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए बताते हैं कि मीडिया की शक्ति और उसकी ज़िम्मेदारी किस प्रकार एक राष्ट्र को प्रभावित करती है।
16 December 2012 Aur Media
Social Issue, Economy, Media, Environment & Corporate
16 दिसंबर 2012 और मीडिया हमारे देश के इतिहास के सबसे दर्दनाक और काले दिनों में से एक पर आधारित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। यह किताब 16 दिसंबर 2012 को घटित हुए दिल्ली गैंगरेप की घटना के दौरान मीडिया के रवैये और भूमिका पर गहन विश्लेषण करती है। यह पुस्तक इस महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर खोजने का प्रयास करती है कि उस समय मीडिया ने जो कदम उठाए, वह सही थे या गलत। किताब मीडिया की नैतिकता, सामाजिक जिम्मेदारियों, और पत्रकारिता के उस पक्ष पर ध्यान केंद्रित करती है, जिसने इस घटना को कवर किया। लेखक इस घटना से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए बताते हैं कि मीडिया की शक्ति और उसकी ज़िम्मेदारी किस प्रकार एक राष्ट्र को प्रभावित करती है।
MRP:
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Minimum Purchase: ₹999
Format: | Paperback , Ebook |
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ISBN No. | 9789384314057 |
Publication date: | 16 Dec 2012 |
Publisher: | Rigi Publication |
Publication City/Country: | India |
Language: | Hindi |
Book Pages: | 90 |
Book Size: | 5.5" x 8.5" |
Book Interior: | Black & white interior with white paper (Premium Quality) |
रिषी गौतम एक अनुभवी पत्रकार और लेखक हैं, जिन्होंने भारतीय मीडिया के विभिन्न पहलुओं पर गहन अध्ययन और लेखन किया है। वे कई प्रमुख समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए अपने विचार और विश्लेषण साझा करते रहते हैं। उनका लेखन सटीकता, स्पष्टता, और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।
डॉ. सोना सिंह समाजशास्त्र और मीडिया स्टडीज़ में विशेषज्ञ हैं। उन्होंने समाज पर मीडिया के प्रभाव, नैतिक पत्रकारिता, और सामजिक बदलावों में मीडिया की भूमिका पर कई शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। उनका अनुभव और शोध इस पुस्तक को अधिक प्रासंगिक और महत्वपूर्ण बनाते हैं।