चन्द्रकांता कोरी कल्पना नहीं, हाड मांस की चलती - फिरती, हंसती - रोती, लङती - झगङती, पिटती - पीटती गांव की अल्हङ किशोरी है । कल्पना का तो मैंने अपनी आंतरिक लालसा के कारण उसमें मात्र हल्का सा पुट दिया है । उसका रंग - रूप, कद - काठी, बनावट - बुनावट सब प्राकृतिक है । मेरी आँखों को उसके चेहरे के किस भाग पर चोट - खरोंच का कैसा हल्का या गहरा निशान कितना आकर्षित करेगा, यह सब मेरी कमजोरी के कारण है। अन्यथा वह तो बेदाग मोतिये की बंद कली सी ही मेरे सामने आई थी । उसके श्यामवर्ण चेहरे पर कहाँ कितना ओज - तेज, लालिमा–लावण्य है, उसका अपना है । एक दृढ निश्चयी हृष्ट पुष्ट चरित्रवान कर्मठ नौजवान के साथ चण्डीगढ जैसे सुन्दर शहर में वह किन - किन मुसीबतों, अनुभवों से दो चार होती है, यह भी समयानुसार हुआ है। मैं तो उसे देख कर ही अभिभूत हूँ । मुझे उस बालिका में कभी नटवर नागर और कभी कर्मयोगी के दर्शन होते हैं । कहिये चन्द्रकांता मेरे जीवन की संचित अभिलाषा है । शेष निर्णय पाठकों पर ।
Offers
DISCOUNT - 59
use Code: FCI1EV3B
Minimum Order Amount 1340 & Get 59 Rs. Flat Discount
Minimum Purchase: ₹1,340
Minimum Purchase: ₹1,340
Format: | Paperback |
---|---|
ISBN No. | 9789388393911 |
Publication date: | 27 Dec 2019 |
Publisher: | Rigi Publication |
Publication City/Country: | India |
Language: | Hindi |
Book Pages: | 364 |
Book Size: | 5.5" x 8.5" |
Book Interior: |