"राजनीतिक क्षेत्र में सभी वर्गो के समान प्रतिनिधित्व की उपलब्धता की दृष्टि से संविधान के 73वें संशोधन की उपादेयता सार्थक सिद्ध हुई है। उत्तर प्रदेश राज्य ने देश के अन्य राज्यों की भांति इसे पूरी शिद्दत के साथ लागू करते हुए अनुसूचित जाति, जनजाति पिछडे़ वर्गों एवं महिलाओं को विभिन्न निर्वाचन की प्रक्रियाओं में प्रतिभाग करने हेतु आरक्षण की सुविधा प्रदान की।
ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिनिधित्व हेतु सम्पादित होने वाली चुनाव प्रक्रियाओं में महिलाओं ने आरक्षण के आधार पर प्राप्त सुविधाओं के द्वारा निर्वाचन की प्रक्रिया में नियामित रूप से प्रतिभाग कर रही है फलस्वरूप राजनीतिक महिला नेतृत्व उभर रहा है।
प्रस्तुत पुस्तक में ग्राम पंचायतों के माध्यम से निवार्चित होकर आने वाली महिला ग्राम प्रधानों के सम्बन्ध में सर्वेक्षणात्मक एवं विवरणात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। ग्राम पंचायतों में चुनी गयी महिला ग्राम प्रधानों के नेतृत्व सम्बन्धी गुणों का सूक्ष्म एवं गहन अध्ययन किया गया है। पंचायती राज व्यवस्था के तहत राजनीतिक भागीदारी के विवेचनात्मक अध्ययन को पुस्तक में समाहित किया गया है साथ ही ग्रामीण महिलाओं के नेतृत्व सम्बन्धी चिन्तन को भविष्य के लिए रेखांकित किया गया है। निर्वाचित महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की विवेचना पुस्तक में समाहित है।
विश्वास है कि पुस्तक सामान्य रूप से पंचायती राज व्यवस्था एवं महिला नेतृत्व के साथ-2 महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में रूचि रखने वाले शिक्षा जगत के विद्धानों, समाजसेवियों, प्रशासकों नीति निर्माताओं एवं शोध कार्य में संलग्न शोधार्थियों के लिए उपयोगी साबित होगी।"