"कलयुग का अंत" एक गहन आध्यात्मिक और दार्शनिक काव्य रचना है जो कलयुग की प्रवृत्तियों, उसके परिवर्तन और अंततः उसके पतन की कहानी को उजागर करती है। यह पुस्तक हिन्दू धर्म, पुराणों और समकालीन विचारों का संगम है, जिसमें भगवान शिव, विष्णु, देवताओं और असुरों की भूमिका को सांकेतिक रूप से दर्शाया गया है।
यह पुस्तक कलयुग के पतन की कहानी नहीं केवल कहती है, बल्कि यह पाठक को समय के चक्र, धर्म और ब्रह्मिक न्याय की गहरी समझ प्रदान करती है। यह एक बेजोड़ मिलाजुला रूप है, जो धार्मिक, पुराणिक और समकालीन विचारों को जोड़ते हुए पाठकों को आध्यात्मिक रूप से जागरूक करता है।