कुंडलिनी का जागरण लेखक राकेश कुमार द्वारा एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो कुंडलिनी, वह प्राचीन ऊर्जा जो मानव शरीर में सुप्त अवस्था में होती है, के जागरण की प्रक्रिया को विस्तार से समझाता है। यह दिव्य ऊर्जा जब सक्रिय होती है, तो संचित कर्म और पापों को भस्म कर देती है, और जीव को आध्यात्मिक जागृति की अवस्था में ले जाती है। इस पुस्तक में लेखक के व्यक्तिगत अनुभवों और कुंडलिनी साधना की रहस्यमयी कला को समाहित किया गया है। प्रतीकात्मक चित्रों और गहन अंतर्दृष्टियों से भरपूर, यह पुस्तक आध्यात्मिक उत्कर्ष की यात्रा पर एक अनूठा और समृद्ध दृष्टिकोण प्रदान करती है।
Kundalini Ka Jagran
Self Help, Motivational, Inspirational, Confidence Building & Human Values, Religion & Spirituality,
कुंडलिनी का जागरण लेखक राकेश कुमार द्वारा एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो कुंडलिनी, वह प्राचीन ऊर्जा जो मानव शरीर में सुप्त अवस्था में होती है, के जागरण की प्रक्रिया को विस्तार से समझाता है। यह दिव्य ऊर्जा जब सक्रिय होती है, तो संचित कर्म और पापों को भस्म कर देती है, और जीव को आध्यात्मिक जागृति की अवस्था में ले जाती है। इस पुस्तक में लेखक के व्यक्तिगत अनुभवों और कुंडलिनी साधना की रहस्यमयी कला को समाहित किया गया है। प्रतीकात्मक चित्रों और गहन अंतर्दृष्टियों से भरपूर, यह पुस्तक आध्यात्मिक उत्कर्ष की यात्रा पर एक अनूठा और समृद्ध दृष्टिकोण प्रदान करती है।
MRP:
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Minimum Purchase: ₹1,600
Format: | Paperback , Ebook |
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ISBN No. | 9789386447135 |
Publication date: | 06 Jun 2017 |
Publisher: | Rigi Publication |
Publication City/Country: | India |
Language: | Hindi |
Book Pages: | 170 |
Book Size: | 5.5" x 8.5" |
Book Interior: | Color interior with white paper (Premium Quality) |
राकेश कुमार एक प्रसिद्ध लेखक और आध्यात्मिक साधक हैं जो कुंडलिनी और आध्यात्मिक जागरण के क्षेत्र में गहरी विशेषज्ञता रखते हैं। इनका जन्म जनवरी 1963 में उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले के ग्राम हैंसर बाजार में हुआ था। इन्होंने वाराणसी के हरिश्चंद्र डिग्री कॉलेज से एम.कॉम. तक की शिक्षा प्राप्त की और उत्तर रेलवे में 24 वर्षों तक सेवा करने के बाद जुलाई 2011 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। इनकी आध्यात्मिक यात्रा 1996 में गुरु स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी से मिलने के बाद और अधिक गहन हो गई। यह पुस्तक कुंडलिनी पर उनकी दूसरी कृति है, जिसमें उनके गहन अनुभवों और अंतर्दृष्टियों को प्रस्तुत किया गया है।