बृज के माधुर्य से सराबोर "भंवर जावौ मथुरा धाम" भ्रमर गीतों की ऐसी रचना है जिसमें भगवान श्री कृष्ण के मथुरा गमन के पश्चात राधा रानी एवं गोपियों के विरह की मर्मस्पर्शी गाथा है, बृज के कण कण की व्यथा है, क्षोभ है, क्रोध है, उलाहने हैं, प्रणय है और समर्पण भी है। श्रीकृष्ण के बृज में प्रवास काल की अनेक घटनाएं, एक कथानक के रूप में प्रस्तुत करने की चेष्टा की गई है। वर्तमान में मनाए जाने वाले त्योहारों, विशेषकर होली के विभिन्न रूपों की विवेचना है । आशा है, पाठक आदि से अंत तक निरंतर पठन कर आनन्दित होंगे।
How to Use This Book:
- भक्ति साधना: राधा-कृष्ण की भक्ति में लीन होने के लिए।
- साहित्य अध्ययन: हिंदी साहित्य और ब्रज संस्कृति के अध्ययन के लिए।
- उपहार: भक्तों और साहित्य प्रेमियों के लिए उपहार के रूप में।