लिखा है मैने भी मासूम दिलोंके दर्द को वतन के लिये शहिद हुए हर वीर मर्द को,
मॉ की ममता को भी सजाया है मैने अपनी कलम से
पिया मिलन को तरसती जैसे अपने बलम से,
लिखा है मैने भी खाकी वर्दी की यातना को
देश के लिए लढ सके उस युवा चेतना को,
कभी कलम से निकली है मेरे बाल कवीताओं की बरसात
और दिलमें छुपे उन हर एक रीश्तों की मन की बात |