"दरकते रिश्ते" सत्यवीर "निराला" की एक मार्मिक कृति है जो आज की दुनिया में मानव रिश्तों की टूटती हुई प्रकृति पर आधारित है। भारत, जहां धर्म और अध्यात्म की कोई कमी नहीं है, वहां भी आज परिवारिक संबंधों में प्यार, आदर और सम्मान का अभाव बढ़ता जा रहा है। लेखक ने इस पुस्तक के माध्यम से ध्यान आकर्षित किया है कि माता-पिता, पति-पत्नी, और बच्चों के बीच रिश्ते कैसे स्वार्थ, अविश्वास और असम्मान के कारण बिखरते जा रहे हैं।
इस पुस्तक में लेखक समाज के उन गंभीर मुद्दों पर प्रकाश डालते हैं, जैसे बुजुर्गों के प्रति अत्याचार, वैवाहिक अविश्वास और नारी उत्पीड़न। "दरकते रिश्ते" समाज को जागरूक करने के लिए एक आईना है, जो पाठकों को मानवीय मूल्यों और पारिवारिक प्रेम की अहमियत को दोबारा समझने का मौका देता है। यह पुस्तक हर व्यक्ति के लिए एक संदेश है कि वे अपने रिश्तों को दोबारा जोड़ें और उनका आदर करें।
पाठकों के लिए उपयुक्त: जो मानव मनोविज्ञान, संबंधों और सामाजिक सुधार में रुचि रखते हैं।