कुछ बाकी था' मेरे द्वारा लिखित एक कथा संग्रह है यह मेरी दूसरी किताब है, इस किताब के माध्यम से मैंने लोगों तक अपने विचारों को पहुँचाने का एक छोटा सा प्रयास किया है।
अब यह सार्थक कितना होता है, ये वक्त बतायेगा, पर उम्मीद यही है मेरी की मेरे पाठकों ने जितना स्नेह मेरे प्रथम काव्य संग्रह ''मेरा मन एक परिंदा'' को दिया उतना ही प्रेम वह मेरे कथा संग्रह ''कुछ बाकी था'' को भी देंगे।
मैं अपने प्रकाशक रिगी पब्लिकेशन का भी दिल से आभार व्यक्त करना चाहूंगी की उन्होंने मेरे विचारों को पुस्तक के रूप में आधार प्रदान किया।
मेरा कथा संग्रह न कोई आरोप लगाता न किसी को गलत ठहराता बस स्वतंत्र विचारों का प्रणोता है। स्वतंत्र सोच की राह दिखाता !
अंकिता जैन