"अक्षर ज्ञान" पंडित मधुसूदन त्रिपाठी द्वारा लिखित एक अद्भुत काव्य संग्रह है, जो ज्ञान के अविनाशी और शाश्वत स्वरूप को दर्शाता है। "अक्षर" का अर्थ ही होता है जो कभी नष्ट न हो, और यह पुस्तक इसी अमर ज्ञान की महत्ता को काव्य के माध्यम से प्रस्तुत करती है।
यह काव्य संकलन भारतीय दर्शन, साहित्य और जीवन के मूलभूत पहलुओं से प्रेरित होकर लिखा गया है। हिंदी वर्णमाला और काव्य परंपरा को आधार बनाकर इस पुस्तक में गूढ़ दार्शनिक चिंतन और आध्यात्मिक दृष्टिकोण का सुंदर समावेश किया गया है।
इस पुस्तक की रचनाएँ जयशंकर प्रसाद की ‘कामायनी’ से प्रेरित हैं, जिसमें कविता को भावनाओं और ब्रह्मांडीय सत्य के मध्य एक सेतु माना गया है। यदि आप गहरी सोच और साहित्यिक सौंदर्य से भरपूर कविताएँ पढ़ना चाहते हैं, तो अक्षर ज्ञान आपके लिए एक अनमोल काव्य संग्रह है।