यह किताब प्रेम, भक्ती और बलिदान का प्रतीक है जिसमे नायक नायीका के विरह मे अपनी उलझन, मजबूरी और चाहतें वयक्त करता है। नायक नायीका के यौवन और सुंदरता को शब्दों मे पीरोकर उसे एक नया रूप और नई पहचान देता है। इसमे नायक अपनी परिस्थीयों से जुझते हुए समाज के अन्य पहलूओं पर भी एक नजर डालता है और अपनी मोक्ष प्राप्ती की कामना करता है।
About the Author:
मेरा जन्म 7 जुलाई 1987 ई. में बिहार के जहानाबाद जिले में हुआ पर पला बढा धनबाद में। मेरी प्रारंभिक शिक्षा से लेकर स्नातक ;बी.कॉम) तक मै यही रहा । मै एम. बी. ए. करने ग्रेटर नॉएडा आ गया यहाँ मैंने मानव संसाधन में उच्च शिक्षा प्राप्त की और आई. टी. इंडस्ट्री में कार्यरत हो गया । अंशु मेरी पहली किताब है जिसे व्यस्तता के कारण पूरा करने में कई साल लग गए। यह मेरी कठिन परिश्रम का परिणाम है जो मैंने शिक्षा और नौकरी से समय निकालकर की ।
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