"संपूरà¥à¤£ संगीत जगत को विदित है कि पंडित रामाशà¥à¤°à¤¯ à¤à¤¾. अकसà¥à¤®à¤¾à¤¤ ही संगीत जगत को छोड़कर अनंत यातà¥à¤°à¤¾ पर चले गये थे।
पंडित जी की रचनाà¤à¤ साहितà¥à¤¯à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ सांगीतिक दोनों ही रूपों में अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• समृदà¥à¤§ है। पंडित जी का कारà¥à¤¯ इतना विशद रहा है कि à¤à¤• शोधारà¥à¤¥à¥€ अथवा जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ के लिठउनके वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को जानने की उतà¥à¤¸à¥à¤•à¤¤à¤¾ मन में आ ही जाती है मनà¥à¤·à¥à¤¯ जिस वातावरण में जनà¥à¤® लेता है उसके अनà¥à¤¦à¤° उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होता है और यही संसà¥à¤•à¤¾à¤° परिषà¥à¤•à¥ƒà¤¤ होकर उसके वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ का परिचायक बन जाते है।
इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में पंडित जी के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ सांगीतिक कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की जानकारी दी गई है आशा है कि यह पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• संगीत जगत के लिठउपयोगी सिदà¥à¤§ होगी।"