"हरियाणा में जन्मे भगवान कौशिक बचपन से ही साहित्य के पठन-पाठन में दिलचस्पी रखते आये हैं। युवावस्था में शायरी में दिलचस्पी हुई तो शेरो-शायरी, ग़ज़ल, गीत आदि लिखने लगे । एक स्वतंत्र लेखक के तौर पर डिस्कवरी चैनल व नेशनल ज्योग्राफ़िक चैनल जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं के साथ भी काम कर चुके हैं । एक लम्बे अरसे से समाजसेवा व राजनीति में सक्रिय भगवान कौशिक आजकल मुंबई में रह रहे हैं । ""ये कैसा नशा है"" इनकी पहली किताब है । नज़रें भी तू है
नज़ारा भी तू ही
तुही अक्स भी है
तुही आईना है.
है प्याला भी तू ही
है हाला भी तू ही
मधुशाला भी तू है
तुही पी रहा है.
है कर्ता भी तू ही
है कारण भी तू ही
तुही कर रहा है
तुही हो रहा है."